एहसास...

एहसास -
by Swapnil Sanjaykumar Kotecha: 

ना मिले कुछ फूल रास्ते के, तो पूंछता रहा हर कदम मैं उससे,
क्यों नाराज़, क्यों ख़फ़ा है ए खुदा तू मुझसे,
ना एहसास था मुझ फ़क़ीर को रब की रहमत का,
ख़फ़ा नही वो तो मेरी ज़न्नत को सजाने में मशरूफ़ था।

हर दुआ कबूल हो जाती थी हमारी फिर भी हम नाराज थे खुदासे के उसने हमें तुमसे मिलाया नहीं...
फिर जा के एहसास हुआ अपनी नादानी का हमें के तुम्हे नहीं दुआ में हमने उसकी खुदाई को माँगा था।

कुछ इस तरह प्यार किया है तुझसे के, ना तेरे इकरार की आस है, ना तेरे इन्कार का गम, इजहार भी किया था तुझे यहीं एहसास दिलाने के लिए की, तुझसे भी ज्यादा तुझे कोई चाहता है।

रत्तीभर भी ना कम हुआ है प्यार तेरा इस दिल से, बस यह एहसास कुछ ज्यादा हुआ है...
इक पल के लिए भी ना भुले हम जिस को, वो अपनी यादों में भी हमको याद करते नहीं है।

चाहत तो तेरी आज भी उतनी ही है मेरे दिल को, पर एक एहसास है जो तेरा इंतज़ार करने नहीं देता...
दो पल का वक़्त नहीं जिनके पास हमारे लिए वोह उम्रभर हमारा साथ क्या देंगे?

भूल गए होते कब के हम आपको पर कुछ यादें बार-बार आपके प्यार का एहसास दिलाती है...
जब किया था बयान-इ-इश्क हमारे अश्कोंने, तो फुट-फुट कर आप भी रोए थे।

एहसास होआ अगर उन्हें मोहब्बत की गहराई का,  पढ़ लेते वो आँखोंसेही बेजुबाँ इस दिल की दास्ताँ,
चंद लफ्जों का क्या तवज्जुं हैं बेपनाह इश्क़ के आगे, ख़ामोशीसे बड़ी कोई शायरी नहीं होती मोहब्बत में।

क्या एहसास होगा उन्हें टूटने बिखरने के दर्द का, वो तो कांच के बिखरे टुकड़ो को भी आयना समझते है...
झाँक पाते कभी वो इस चेहरे की मुस्कान के पीछे, तो शायद आज हम तनहा ना होते।

खलती है तेरी कमी आजभी इस दिल में, रहती नम ये आँखें आजभी तेरे गम में,
एहसास इस तन्हाई कुछ इतना गहरा है की, अब तो इस बंजारेपण से इश्क़सा गया हैं।

Comments

Popular Posts