तू है मेरे ख़यालों की तरह...

तू है दिलनशी इक धून की तरह, सून लूँ जिसे मैं कभी तो,
दिल की धड़कनें सरगमसी बजे।

तू है सजिली इक मुस्कान की तरह, देख लूँ जिसे मैं कभी तो,
उदासी भी मेरी खिलखिल के हँसे।

तू है रिमझिम बरसती बारिश की तरह, भीग लूँ तुझमें मैं कभी तो,
दिल की ज़मीन बहारोंसी खिले।

तू है बार बार माँगी एक दुआं की तरह, कबूल हो जाये जो कभी तो,
ज़िन्दगीभर हम रब के शुक्रगुजार रहे।

तू है ख़ुबसुरत उस चाँद की तरह, कुछ पल भी हो ग़ायब जो कभी तो,
तारों से सजा आसमाँ भी सुनासुनासा लागे।

तू है ए हमनशी उस साहिल की तरह, तूफानों भी घिर जाऊ मैं कभी तो,
तुम तक पहुँचने की दिल फ़रयाद करे।

तेरी आँखें है दिलदारा इक ज़ाम की तरह, पीलादे तू इन निग़ाहों से कभी तो,
ज़िन्दगीभर हम तेरे नशे में झूमते रहे।

तू है ए रेहनुमा मेरी अरमानों की तरह, पुरे हो जाये जो कभी तो,
कुछ और पाने की ख़्वाहिश न रहे।

तू है जान-ए-मन मेरी धड़कनों की तरह, छोड़ दे तू साथ जो कभी तो,
ज़िन्दगी भी हमारा साथ छोड़ जाये।

तू है मेरी उम्मीदों की तरह,
तू है मेरी हर आरजू की तरह,
तू ही तो ए दिलबर मेरी दास्ताँ हैं,
हर मंझिल का तू ही तो एक रास्ता है।

तूझसे ही जुड़ी है हसरतें मेरी,
तू हैं मेरी ख़्वाहिश, जरूरतें मेरी,
तू ही ए ख़ुदारा मेरी चाहत है,
तुझसे ही मिलती मुझे राहत है।

तू ही ए सनम है हमसफ़र मेरी,
तू ही है कारवाँ, तू ही रहबर मेरी,
तू ही तो ए हमनवां मेरी दुनियाँ है,
ज़न्नत में भी तुझबिन वीरानियाँ है,

तू ही है क़िस्मत, तू ही मुस्कुराहट मेरी,
तू ही ख़ुदा की रहमत, तू है मोहब्बत मेरी,
तू मेरी शायरी, तू ही मेरे अल्फ़ाज़ है,
मेरे गुनगुनाते दिल की तू मधुर आवाज़ है।

मेरे मासूम दिल की तू ही तो है आख़री मन्नत,
रहना है तेरी बाहों में, बस यही तो है मेरी ज़न्नत,
तू ही है ज़िन्दगी मेरी, मेरे जीने का तरीका है,
तू नहीं जानती तू मेरे ख़यालों की मल्लिका है।

- स्वप्निल संजयकुमार कोटेचा

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