फिर भी मेरा India Intolerant कहलाता है...

चार साल की बच्चियों का Rape Tolerate करता है, फिर भी मेरा India Intolerant कहलाता है।

रास्तों पे थूकना, सड़कों पे मूतना Tolerate कर जाता है, फिर भी मेरा India Intolerant कहलाता है।

चारे से लेकर कोयले तक रोज एक नया Scam Tolerate करता है, फिर भी मेरा India Intolerant कहलाता है।

मतलबी नेताओं को, झूठी मीडिया को Tolerate करता है, फिर भी मेरा India Intolerant कहलाता है।

राम नाम लेनेवाला हिंदुत्ववादी कहलाता है, किशन को कैसे याद करे, कन्हैया ही ख़ुद आतंकवादी की जय गाता है।

मातृभूमि का जयघोष भी यहाँ सांप्रदायिक माना जाता है, फिर भी मेरा India Intolerant कहलाता है।

सरहदों में बट जाना, मजहबों में कट जाना Tolerate करता है, फिर भी मेरा India Intolerant कहलाता है।

कभी कारगिल, कभी मुंबई और पठानकोट उजड़ जाता है, फ़िर भी मेरा India Intolerant कहलाता है।

सारे भारतीय मेरे भाई-बहन हुआ करते थे, बचपन में जब हम प्रतिज्ञा गाते थे,
कुछ साल भी नहीं गुजरे अभी और अब हम एक दूसरों को मारने की प्रतिज्ञा करते है।

कही दो दिन में परदों पे फिल्में करोड़ों कमा जाती है, कही दो वक़्त की रोटी के लिए एक मासूमियत टेबल साफ़ करती है।

छाँव के लिए भी यहाँ पेड़ मुश्किल से मिल पाते है और जो मिलते है उनपे फिर बेबस किसान झूलते मिल जाते है।

पाँच रुपिये की दारू के लिए पाँच साल का Vote बिक जाता है, गरीब का बच्चा चाहकर भी School में नहीं सीख पाता है।

शिवाजी महाराज की जयंती हम साल में तीन बार मनाते है, फिर भी मेरे राजा की तरह देशप्रेमी यहाँ जन नहीं पाते है।

सिर्फ क्रिकेट का मैच देखने से कोई देशभक्त नहीं होता, तिरंगेवाली DP से देशप्रेम व्यक्त नहीं होता, वतन से मोहब्बत करना कायरों का काम नहीं यारों, इस दीवानगी से बढ़कर जिंदगी में कोई जूनून नहीं होता।

जिंदगियां दांव पे लगा के उन सरफ़रोशोंने हमें आज़ादी दी, आज इतने आज़ाद हो गए लोग की देश के ख़िलाफ़ नारेबाजी की।

बहुत दर्द होता है, दिल फूटफूट के रोता है,
जब JNU जैसा कोई शर्मनाक हादसा यहाँ होता है।

ये क्या हो गया मेरे देश को,
यहाँ का क़ारोबार अज़ब ही गज़ब चलता है, गोलियां सीमापर जवान खा जाता है, फिर भी दुश्मनों का 'अफजल' शहीद कहलाता है।

बहोत Tolerate कर लिया, अब और नहीं सह पाएंगे, खौल रहा है लहूँ हमारा, अब तो बस सैलाब आएंगे, देश के ख़िलाफ़ हम अब एक लब्ज़ बोलने नहीं देंगे, मर जायेंगे पर भारत माँ की जयकार रुकने नहीं देंगे।

- स्वप्निल संजयकुमार कोटेचा

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