बेवफ़ाई
हाँ शायद मैं मुस्कुराना भूल गया हूँ,
पर आज भी तेरी मुस्कुराहट याद है।
तेरा मेरी बाहों में पिघलना याद है,
मेरे उलझे बालोंसे खेलना याद है,
मेरी साँसों में घुलना याद है,
मेरे होठों पे ठहरना याद है...
बात बात पे टोकना याद है,
मेरे गालों को चूमना याद है,
रातभर मेरे कानों में खुसपुसाना याद है,
ना चाहते हुए भी तेरा हर फ़साना याद है...
हाँ तुम भूल गयी हो शायद,
पर कम्बख्त तेरी बेवफ़ाई मुझे अच्छेसे याद है।
जिस तरह से तुम मेरे हाथों को पकडती थी, कभी लगा नहीं की यूँ अचानक छोड़ दोगी...
जिस तरह से तुम मुझमें सिमटती थी, कभी लगा नहीं की यूँ अचानक निगाहें फेर लोगी...
जिस तरह से तुम वफ़ा की कसमें खाती थी, कभी लगा नहीं की यूँ मज़बूरी का नाम लेके बेवफ़ाई करोगी...
पर अच्छा है की...
तुम्हारी वफ़ा का नक़ाब यूँ ज़ल्दी उतर गया,
मेरे ख़्वाबों से तुम्हारा चेहरा हट गया,
मेरे हाथोंसे तुम्हारा हाथ छूट गया,
झूठी बुनियादों पर बनता ये शीशमहल टूट गया।
अब जा रहीं हो तो फिर पलट कर मत देखना,
पलट कर देखोगी तो शायद मैं फिर यक़ीन कर लूँगा,
अब जा रहीं हो तो फिर नजरें ना मिलाना,
तेरी आँखों के दांव-पेचोंमें ख़ुद को नीलाम कर दूँगा
फिर तेरी मीठी बातों में खो जाऊंगा,
फिर तेरे झूठे वादों पे मर मिट जाऊंगा,
फिर तेरी शरारतें मेरा दिल चुरा लेगी,
फिर तेरी अदाएं मेरी नींदें उड़ा देगी।
और फिर तुम भूल जाओगी सबकुछ,
जैसे तुम भूल गयी हो आज शायद...
मेरी प्यार की शिद्दत को,
मेरे रूहानी मोहब्बत को,
तेरे जिस्मसे ली हर इजाज़त को,
मेरे लबों की शरारत को...
मेरीे आदतों को, शिकायतों को,
बात बात पे तुम्हें चूमने की रिवायतों को,
हमारे क़िस्सों को, हक़ीक़तों को,
चुपचुपके मिलती थी उन मुलाकातों को...
हाँ तुम भूल गयी हो शायद,
पर कम्बख्त तेरी बेवफ़ाई मुझे अच्छेसे याद है।
और अब जा रहीं तो बेशक चली जाना...
मेरी फिक्र का नाटक करने की जरूरत नहीं,
संभाल लेंगे मुझे, मेरे दोस्त बड़े शानदार हैं।
और हां, गलतीसे भी अपने आशिक़ के सामने मेरा जिक्र मत करना,
और हां, गलतीसे भी अपने आशिक़ के सामने मेरा जिक्र मत करना,
नहीं तो वो समझ जाएगा कि,
तुम्हारी गुस्ताख अदाओंका अदाकार मैं था,
तुम्हारी होंठों के नजाकत का जिम्मेदार मैं था,
तुम्हारी वफाओंका असली हकदार मैं था,
तुम गुनहगार और सच्चा दिलदार मैं था।
क्योंकि, तुम भूल गई हो शायद,
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