आज दिल शायराना है...
मेरी हर बात में साथ तू है,
में धुप तो मेरी बरसात तू है,
तेरी चाहतसे मिली है राहत इस दर्द-इ-दिल से,
मेरे लिए तो अबसे पूरी कायनात तू है।
तुझे देखा तो सनम खुदाई से वाक़िब हुए है,
तुझसे जुदा होकर अश्क़ तनहाई को जान पाए है,
बस तुझे पाने की हसरत है इस दिल की,
पहली और आखरी बार इसने मोहब्बत जो की है।
तेरी आहट की इन साँसों आदतसी हो गई है,
तेरी हँसी मेरे होठों की मुस्कराहटसी बन गई है,
बस यह इल्तझा है इन धड़कनों की तुझसे,
संग आजा तू मेरे या इन्हे संग ले जाना है तुझे।
जो तू ना था तो जीने वजह न थी,
जन्नतों में भी खुशियाँ सुहानी न थी,
तेरी यादों ने किया है गुलज़ार इस ज़िन्दगी को,
सदियों से जीते थे हम पर धड़कनों पहचान न थी…
मेरी आँखोंसे पढ़ले कोई के इबादत क्या होती है,
तेरे होंठोंसे सीखे के नजाकत क्या होती है,
बस बिना सजावट, बिना मिलावट तेरी हिफाजत करनी है,
क्यों की तुझे बदलने की इजाजत तो खुदा ने भी न देनी है।
- स्वप्नील संजयकुमार कोटेचा
में धुप तो मेरी बरसात तू है,
तेरी चाहतसे मिली है राहत इस दर्द-इ-दिल से,
मेरे लिए तो अबसे पूरी कायनात तू है।
तुझे देखा तो सनम खुदाई से वाक़िब हुए है,
तुझसे जुदा होकर अश्क़ तनहाई को जान पाए है,
बस तुझे पाने की हसरत है इस दिल की,
पहली और आखरी बार इसने मोहब्बत जो की है।
तेरी आहट की इन साँसों आदतसी हो गई है,
तेरी हँसी मेरे होठों की मुस्कराहटसी बन गई है,
बस यह इल्तझा है इन धड़कनों की तुझसे,
संग आजा तू मेरे या इन्हे संग ले जाना है तुझे।
जो तू ना था तो जीने वजह न थी,
जन्नतों में भी खुशियाँ सुहानी न थी,
तेरी यादों ने किया है गुलज़ार इस ज़िन्दगी को,
सदियों से जीते थे हम पर धड़कनों पहचान न थी…
मेरी आँखोंसे पढ़ले कोई के इबादत क्या होती है,
तेरे होंठोंसे सीखे के नजाकत क्या होती है,
बस बिना सजावट, बिना मिलावट तेरी हिफाजत करनी है,
क्यों की तुझे बदलने की इजाजत तो खुदा ने भी न देनी है।
- स्वप्नील संजयकुमार कोटेचा
Comments
Post a Comment