मेरी फ़ितरत बदल रही है...

तेरी झुकी नजरोंसे बातें हो रही है,
तेरे होठों की मुस्कान मेरी हँसी बन गयी है,
बारिश की बुँदे मदहम गुनगुना रही है,
ख़ामोशियोंसे भी तेरी सदा आ रही है,
तेरी साँसों की ख़ुशबू ज़हन में महक रही है,
तेरी बाहोंमे रहने की हसरतें दिल में खिल रही है,
तेरे संग जीने की जैसे आदतसी लग रही है,
लगता है आजकल मेरी फ़ितरत बदल रही है।

मेरे ख्वाबोँपे राज अब तेराही चलता है,
यादोंमें भी आजकल तेरा बसेरा रहता है,
तुझे ना देखूँ तो दिल बेचैनसा रहता है,
कुछ पल न हो बात तुझसे तो सुकून कहाँ मिलता है,
तेरी नादानियाँ अब मुझे दिलनशी लग रही है,
तेरा हाथ थामने की चाहत एक सरफ़रोशी बन रही है,
तेरी बचकानी हरकतें भी अब प्यारी लग रही है,
लगता है आजकल मेरी फ़ितरत बदल रही है।

आवारोंसे कलियों में भटकते रहते थे,
मेरी आवारगी को अब तू रहबर मिल गया है,
दीवाने तो पहले भी थे हम,
बस मेरी दीवानगी का अंदाज़ बदल रहा है,
गुमशुदा रातें मेरी ख़ुशनुमा सुबाहें बन गयी है,
जीने की मेरे जैसे तू ही एक वजह बन गयी हैं,
तेरे सायोंसे भी अब तो मोहब्बत हो रही है,
लगता है आजकल मेरी फ़ितरत बदल रही है।

तेरी आँखों के काजल से मेरी तहरीर चमक रही है,
तेरे माथे की बिंदी से मेरी दुनिया सज रही है,
तेरे हाथों के कंगन से मेरी जिंदगी बंध गयी है,
तेरे पायल की छमछम से मेरी धड़कने जुड़ गयी है,
तेरी ही इबादत, दिल तेरी ही पूजा कर रहा है,
तेरे ओठों से मेरा नाम सुनने को हर लम्हा तरस रहा है,
तुझ संग इश्क़ में यूँ बेइन्तहांसी बरकत आ रही है की,
लगता है आजकल मेरी फ़ितरत बदल रही है...
- स्वप्निल संजयकुमार कोटेचा

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